अंखियां झूठ ना बोलें
अंखियां झूठ ना बोलें
खुद ही दिल का भेद कहें
फिर अपने भेद भी खोलें
अंखियां झूठ ना बोलें
इन पे गुज़री जैसी जैसी
बात करें ये वैसी वैसी
रोते...
सपने देखने वाली स्त्री
क्या देखा है कभी
उस साजिश को,
जहां, शक्ति कहकर
बना दिया जाता है 'निःशक्त'
एक स्त्री को,
वैसे,
निःशक्त कभी नहीं रही 'स्त्री'
अबला कहकर,
नाज़ुक बदन देखने वालों
हिम्मत जुटाकर
कभी,
देखिए, उसकी...